Kisan News:— राजस्थान के सांचौर जिले के चितलवाना गांव में किसानों के साथ हुई बीमा कंपनियों की अनियमितताओं का मामला बेहद गंभीर है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 2020 से 2022 के बीच रबी और खरीफ सीजन के दौरान हुए फसल नुकसान के मुआवजे के लिए कुल 1944 किसानों का 40 करोड़ रुपये का क्लेम बीमा कंपनी ने रोक रखा था।
बीमा क्लेम के भुगतान में देरी
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसान प्राकृतिक आपदाओं से फसल को हुए नुकसान का मुआवजा प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए फसल नुकसान का आंकड़ा मिलने के 30 दिनों के भीतर बीमा कंपनी को किसानों के दावे का भुगतान करना आवश्यक होता है। यदि बीमा कंपनी इसमें देरी करती है, तो उसे 12% वार्षिक ब्याज देना होता है ।
लेकिन सांचौर के इस मामले में बीमा कंपनी ने तीन साल तक किसानों को मुआवजे का भुगतान नहीं किया। इससे किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा और वे लगातार बीमा कंपनी के चक्कर काटने को मजबूर हो गए। यह समस्या मीडिया में उजागर होने के बाद जिला कलेक्टर ने हस्तक्षेप कर संबंधित बीमा कंपनी को तीन दिन के भीतर मुआवजा देने का आदेश दिया ।
प्रभावित किसानों का विवरण
जिला कलेक्टर ने बीमा कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए 2020 से 2022 तक का लंबित बीमा क्लेम प्राप्त करने वाले किसानों की पहचान की। विभिन्न गांवों के प्रभावित किसानों की संख्या इस प्रकार है:
– रानीवाड़ा: 240 किसान
– बागोड़ा: 478 किसान
– सांचौर: 339 किसान
– चितलवाना: 887 किसान
फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से ठगी
इस मामले में बीमा कंपनियों के प्रतिनिधियों की मिलीभगत के भी मामले सामने आए हैं। कुछ प्रतिनिधि फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से किसानों से क्लेम वसूलने में लगे हुए थे। इसके संबंध में पुलिस थाने में दो मामले भी दर्ज किए गए हैं, जिसमें एक पटवारी की संदिग्ध भूमिका सामने आई है ।
किसानों के लिए सलाह
किसानों को अपनी फसल बीमा पॉलिसी की समय-समय पर जानकारी लेनी चाहिए और किसी भी अनियमितता की स्थिति में तुरंत शिकायत दर्ज करानी चाहिए। किसान अपनी शिकायत प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पोर्टल पर भी दर्ज कर सकते हैं। इसके अलावा, उन्हें बीमा क्लेम की प्रक्रिया के बारे में पूरी जानकारी रखनी चाहिए ताकि वे किसी भी प्रकार की ठगी से बच सकें।
सरकार का हस्तक्षेप और दंड
यदि बीमा कंपनियां किसानों के दावों का भुगतान समय पर नहीं करती हैं या नियमों का उल्लंघन करती हैं, तो सरकार के पास उन्हें ब्लैकलिस्ट करने या उन पर जुर्माना लगाने का अधिकार है। इससे बीमा कंपनियों पर किसानों के हितों को सुरक्षित रखने का दबाव बना रहता है ।
इस पूरे मामले ने यह साबित कर दिया है कि किसानों को समय पर मुआवजा दिलाने और बीमा कंपनियों की अनियमितताओं पर लगाम लगाने के लिए प्रशासन को सजग रहना जरूरी है। यह घटना किसानों को भी जागरूक करती है कि वे अपनी फसल बीमा पॉलिसी से संबंधित किसी भी समस्या को नजरअंदाज न करें और समय पर उचित कार्रवाई करें।
यह जानकारी किसानों और कृषि से जुड़े व्यक्तियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे उन्हें बीमा योजनाओं के तहत अपने अधिकारों और क्लेम प्रक्रिया के बारे में जानकारी मिलती है। इसके साथ ही, यह प्रशासन और बीमा कंपनियों को समय पर कार्रवाई करने के लिए प्रेरित करता है, जिससे किसानों को उनका हक मिल सके।
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